Monday, July 20, 2020

वैश्विक महामारी व भारतवर्ष 2020( भाग #५) वर्तमान प्रोद्योगिकी 

वर्तमान प्रोद्योगिकी 
****************
आत्मीय मित्रों,

प्रस्तुत है "वैश्विक महामारी व भारतवर्ष 2020 आगे का भाग दूरदर्शन व वर्तमान प्रोद्योगिकी 

ॐ नमः शिवाय/श्लोक/।।श्री।।/Reloaded Main(C:)
Reports/ सुर्य कान्त  वत्स/शिवा कान्त वत्स/ Reloaded Main(C:)

Main(C:)/- ईका/दूरदर्शन/रामायण/प्रोद्योगिकी/1984/Fb.com/ShivaKant.Vats  🕉️

MAIN(C:)/दिल्ली/ लालकिला/ जामा मस्जिद/ मरघट बाबा / दिल्लीगेट/ITO/ CP /कश्मीरीगेट /तीस हजारी / विश्व विद्यालय / जे न यु/ झण्डेवालान / पहाड़गंज/ नरायणा/ दिल्ली के मालिक/ स्वराज/ चौकीदार/ तीन तलाक़ / शरिया/ इस्लाम /UCC /हाईकोर्ट/ सुप्रीम कोर्ट/ कश्मीर 370/ CAA NRC/अयोध्या/मक्का/ शाहीनबाग/ सीलमपुर/ शास्त्रीपार्क/ भजनपुरा/यमुना विहार/ मौजपुरा/ दुर्गापुरी/ वेलकम/ कडकडडूमा/ शाहदरा/ खजूरी नार्थ ईस्ट के सभी इलाकों से पंजाबी बाग / मानसरोवर गार्डन/ रमेश नगर /सुदर्शन पार्क/नांगल राय/ हरिनगर /जनकपुरी/ दिल्ली हाट/ रोहिणी/प्रशांत विहार /अशोकविहार/ साउथ एक्स / /कालकाजी/ तिलक नगर /रिठाला / रोहिणी / शालीमार बाग / पीतमपुरा/ लाजपत नगर /अन्य इलाके /मॉडल टाउन / देश के और मानवता के दुश्मन /कोरोना/GTB/IHBAS/आनन्द विहार / नोयडा/ समयपुर बदली /गुरूग्राम/ गाजियाबाद/ लोनी/ नमोआदित्याय/ मरकज़/ राम नवमी/ 5 अप्रैल 9 बजे/एल जी/दूरदर्शन/रामायण/ दीपोत्त्सव

                              दूरदर्शन के दिन बदल गए। राम की कृपा से धारावाहिक ऐसा हिट हुआ कि रविवार की सुबह सड़कों पर स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू (Public Curfew) लगने लगा। प्रेम सागर के एक सस्मरण के अनुसार उस समय इसके हर एपिसोड पर एक लाख का खर्च आता था, जो उस समय दूरदर्शन के लिए बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। राम बने अरुण गोविल और सीता बनी दीपिका चिखलिया की प्रसिद्धि फिल्मी कलाकारों के बराबर हो गई थी। 

हिमालय के दिव्य लोक में भारत के लिए योजना तैयार हो रही है। अतिशीघ्र भारत विश्व का मुखिया बनेगा।"

आश्चर्य है कि रामानंद जी को अपने कार्य के लिए हिमालय के अज्ञात साधु का संदेश मिला।
                            आज इतिहास पुनरावृत्ति कर रहा है। उस समय जनता स्वयं कर्फ्यू लगा देती थी, आज कोरोना ने लगवा दिया है। उस समय दस करोड़ लोग इसे देखते थे, आज इससे भी अधिक देखे रहे है।

उन करोड़ों की सामूहिक चेतना हिमालय के उन गुरु तक पुनः पहुंच सकेगी। शायद फिर कोई युवा साधु चला आए और हम कोरोना से लड़ रहे इस युद्ध मे विजयी बन कर उभरे। अब चले राम बाण, और कोरोना का वध हो।

*सत्यम_शिवम_सुन्दरम*

इसे बंद किया गया, उसके कुछ सालों बाद बनारस हिन्दू विद्यालय के नाम से हिन्दू शब्द हटाने की मांग भी उठी,
स्कूलों में रामायण और हिन्दू प्रतीकों और परम्पराओं को नष्ट करने के लिए, सरस्वती वंदना, शन्तिपा कांग्रेस शासन में ही बंद कर दी गई, महाराणा प्रताप की जगह अकबर का इतिहास पढ़ाना,  ये कांग्रेस सरकार की ही देन थी।
केन्द्रीय विद्यालय का लोगो दीपक से बदल कर चाँद तारा रखने का सुझाव कांग्रेस का ही था।
भारतीय लोकतंत्र में हर वो परम्परा या प्रतीक जो हिंदुओ के प्रभुत्व को बढ़ावा देता है को सेकुलरवादियों के अनुसार धर्म निरपेक्षता के लिए खतरा है, किसी सरकारी समारोह में दीप प्रज्वलन करने का भी ये विरोध कर चुके हैं।
इनके अनुसार दीप प्रज्वलन कर किसी कार्य का उद्घाटन करना धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जबकि रिबन काटकर उद्घाटन करने से देश में एकता आती है।
कांग्रेस यूपीए सरकार के समय हमारे रास्ट्रीय चैनल दूरदर्शन से “सत्यम शिवम सुन्दरम” को हटा दिया गया था,
ये भूल गए है कि ये देश पहले भी हिन्दू राष्ट्र था और आज भी है ये स्वयं घोषित हिन्दू देश है...
आज भी भारतीय संसद के मुख्यद्वार पर “धर्म चक्र प्रवार्ताय अंकित है।
राज्यसभा के मुख्यद्वार पर “सत्यं वद--धर्मम चर“ अंकित है।
भारतीय न्यायपालिका का घोष वाक्य है “धर्मो रक्षित रक्षितः“.... और
सर्वोच्च न्यायलय का अधिकारिक वाक्य है, “यतो धर्मो ततो जयः“ यानी जहाँ धर्म है वही जीत है।
आज भी दूरदर्शन का लोगो, सत्यम शिवम् सुन्दरम है।
ये भूल गए हैं कि आज भी सेना में किसी जहाज या हथियार टैंक का उद्घाटन नारियल फोड़ कर ही किया जाता है।
ये भूल गए है कि भारत की आर्थिक राजधानी में स्थित मुंबई शेयर बाजार में आज भी दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है। ये कम्युनिस्ट भूल गए है कि स्वयं के प्रदेश जहाँ कम्युनिस्टों का 34 साल शासन रहा,
वो बंगाल.... वहां आज भी घर घर में दुर्गा पूजा होती है। ये भूल गए है की इस धर्म निरपेक्ष देश में भी दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वयं भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राम-लक्ष्मण की आरती उतारते है।
और ये सारे हिंदुत्ववादी परंपराए इस धर्मनिरपेक्ष मुल्क में होती है।
हे धर्म को अफीम समझने वाले कम्युनिस्टों, तुम धर्म को नहीं जानते !
और इस सनातन धर्मी देश में तुम्हारी शातिर बेवकूफी अब ज्यादा दिन तक चलेगी नही ।
अब भारत जाग रहा है, अपनी संस्कृति को पहचान रहा है।

कम्युनिस्ट क्या है, कौन है, थोड़ा समझिए..

एक चलते हुए कारखाने को कैसे बंद करना है, एक सुरक्षित देश में कैसे सेंध लगानी है, अच्छे खासे युवा के दिमाग में कैसे देशद्रोही का बीज बोना है, किसी सिस्टम के सताए मजबूर इंसान को कैसे राष्ट्रविरोधी नक्सली बनाना है. यह सब कम्युनिस्टों की विचारधारा है। पश्चिमी बंगाल और केरल में वामपंथी अनेक दशकों तक सत्ता में रहे लेकिन कोई आदर्श स्थापित नहीं कर पाए सिवाए आधे-अधूरे भूमिसुधार के जिसकी बदोलत वे इतने साल सत्ता में रह पाए |

इसके अतिरिक्त वे कोई छाप नहीं छोड़ पाए- न भ्रष्टाचार कम हुआ, न गरीवी का उन्मूलन हुआ न उद्योग धंधे न रोजगार में वृद्धि न स्वास्थ्य और शिक्षा का विकास हुआ और न ही जातिवाद का खात्मा हो पाया |

😢 एक वकील का दर्द वकील की जुबानी ☺

मै एक वकील हूँ, मै डबल ग्रेजवेट कहलाता हूँ।
👍 मै एक वकील हूँ मैं ऑफिसर ऑफ़ द कोर्ट कहलाता हूँ।
👍 मै एक वकील हूँ पैरवी करता हूँ आपने क्लाइंट के लिये फिर चाहे वो खुनी हो या कातिल ।
👍मेरे काम में बड़ा है रिस्क एक जीत जाये तो दूसरा दुश्मन, दूसरा जीत जाये तो पहला दुश्मन ।
👍फिर भी मुझे ना तो कोई प्रोटेक्सन नहीं मिलता एडवोकेट प्रोटेक्सन बिल पास नहीं होता ।
👍मैं सबसे बड़े संघ का सदस्य हूँ परंतु मुझे सामूहिक बीमा नहीं मिलता ।
👍मैं बीमार होता हूँ संघ की आस तकता हूँ मुझे मेडिकल बीमा नहीं मिलता ।
👍मै जिनके लिये पैरवी करता हूँ उनके पोर्टेक्सन के लिये ढेरों नियम और कानून हैं परंतु मेरे प्रोटेक्सन के लिये कोई कानून नहीं ।
👍मै हमेशा दूसरों की सोचता हूँ पर मेरी कोई नहीं सोचता

👍😊क्योकी मै एक वकील हूँ😊


ॐ नमः शिवाय/श्लोक/।।श्री।।/Reloaded Main(C:) Reports;

सुर्य कान्त  वत्स/शिवा कान्त वत्स/Main(C:)/Fb.com/ShivaKant.Vats  🕉️


**/* अथ भारतवर्ष  2020 शिवा कान्त वत्स रचित*/** 

सूचनाओ का संग्रह करने हेतु एक प्रणाली मैंने वर्ष 2011 मे विकसित की थी जिसका प्रारम्भिक हस्त चित्र संलग्न है।

"C" Language में आगे एक प्रोग्राम लिखा है।  जिसका विस्तार आगे  किया गया है ।


#include <srting.h>
#include <stdlib.h>
#include <studio.h>
#include <ctype.h>
#include <malloc.h>
#include <conio.h>
#include <sms.rkt@gmail.com>
#include <https://www.facebook.com
#include <https://www.bsnl.co.in/>
#include <https://www.vodafoneidea.com/>
#include <https://www.gameking.co.in/>
#include <http://goldengaming.in/>
#include <https://en.wikipedia.org/wiki/Orkut/>

#define MAX[256]
char *p[MAX], qretrieve(void);
int stack[MAX]; int tos=0;
/* top of stack */
/*Put an element on the stack. */
Void push(int i){{if(tos>==MAX)
{printf(“Stack Full n”);} retun;}
stack[tos]=I; tos++;}
/* Retrieve Top Element of Stack.*/
Int pop (C) {tos--; 
if(tos<0{Printf(“Stuck underflow n”);
return 0:}
retun stack [tos]}int spos=0;
int rpos=0;
void enter (C); 
qstore(Char *q), review(C),delete_ap(c)
int Main(C) 
{ char s[11]; 
register int t;For (t=0; t<MAX, ++t) p[t]=NULL;
/* inint array to nulls */
For (::) 
{printf(“Enter, List,,remove,Quit:”);
Get(s); *s =toupper(*s); switch(*s) ;
if (*s==0); Break:/* No Entry */P=(char*) malloc(strlen(s)+1); 
If(!p){ printf(“Out of Memory. n”); 
return;}
Strcpy(p,s): If(*s) qstore(p)}  while(*s);
Void review (C)
{ register int t;
For (t=rpos; t< spos, ++t) p[t]: 
printf(%d.%s n,t+1,p[t]);
/* inint array to nulls */}
Void qstore(char*q){if(spos==MAX{Print(“List is full n”); retun;}
p[spos]=q; sposs++;}
Char *qretrive(C)
{ if(rpos==spos)
{Print(“No More Entry. n”); 
retun NULL;}rpos++; 
return p[rpos-1]; }} 
switch(*s)
void struct NODE
{Char Info; struct Node*Left_Child.A;
struct *Right_Child.B};Int depth=0;
void Output(struct NODE*, int);
Struct NODE *Create_Tree
(char, struct NODE*) ;  
/* Output Function */
Void Output(struct NODE*T, int Level)
{int I; if(T)
{output(T->Right_Child.B, Level+1);
print(“ n”) ; for(i=0; i<Level;i++); printf(“”);Printf(%c, T->Info) ; 
Output (T->Left_Child.A, Level+1) :}}
/* Find DEPTH of the Tree */  ;
int Depth (Struct NODE *Node, int Level)
{if (Node ! = NULL):{If(Level > depth): 
depth = Level}:
Depth(Node->Left_Child.A, Level+1);}
return(depth);}
/* Create B Tree */Struct NODE *Create_Tree
(char info, struct NODE* Node);
{  If(Node==NULLL)
{ Node=(struct NODE*)
malloc(sizeof(stuckNODE));
Node=->Info=Info; Node ->Left_Child.B= NULL;);  
Node->Right_Child.A= NULL; 
return (Node) ;}/*Test*/
If(Info<Node-> Info) 
Node->Left_Child.B= Create_Tree(Info, Node->Left_Child.B);
Else, 
If(Info<Node-> Info) Node->Right_Child.A= Create_Tree(Info, Node->Right_Child.A);}
/* MAIN FUNCTION*/
Void Main ()
{ int number =0; char info; char Choice;
int depth;Struct NODE *T= (struct NODE *)
malloc(sizeof(struct NODE));
T= NULL; printf(“ n Input choice ‘b’ to break:”); 
Choice= getchar();
While (Choice!= ‘b’)
{fflush(stdin); 
printf(“ n Put Information of Node:”)
scanf(%c, &Info);
T= Create_Tree(Info, T);
Number++; fflush (stdin);
printf(“ n Input choice ‘b’ to break:”); 
Choice= getchar();} 
Printf(“ n Number of Elements in the Tree is %d, Number”);
Printf(“” n Tree is n”)
Output(T,I); 
depth=Depth(T,0)
Printf(“ n Depth of the above Tree is : %d”, Depth);
{case’I’:  enter(); break;
case’H’:  review(); break;
case’V’:  review(); break;
case’A’:  delete_ap(); break;
case’Q’:  exit(0); }
return 0;}}


Main(C:)/SMS Shiva Kant Vats / Cloud.Net/ Sonebhadra Up/ BSNL/ VSNL/ C-DoT 256/ 16Khz/512/265749/ Hutch/ Vodafone/ 9839489672 / Orkut/ Yuva Tiwari / smsplz/ NokiaPC/Suite/ EML/KashOnline/ SonebhdraOnline/ PrayagOnline/ GorakhpurOnline/ sriraminternational/ banjararesort.in/ Maruti-800/ SinghTVS/ NAW/ WOW/ S-113/ V-Mart/Bindra Singh/Mayapuri/ Dilipkumar Singh / PlanetG / AD-The SMS/ HCL/CS/ Manish Jain/ Krishna/ VNS/ SinghMRC/ Anoop Gupta / Rajiv Keshri Radio/ MMC/ SD/ Battery/ 6PCs/ Invertorj / Laptop/ Modems/ Router /Net95/ Wifi/ Quantum Phy/e-Ph+/ Newtron/ Matter/ AntiMatter/ He/ h2o/ Cloud..Net/ SamSung/ Galaxy7/ Li-Ion/MMC /SD/ O/ VSNL/ OFC/ BTS/  WLL/ TDMA/ CDMA/ GSM /ISP/ PlanetG/ Mumbai Central / TimeZone/2012/wlw Vimal Agrawal/ OBRA/ Sandeep Jindal / RKT/RBT/ DETO/ MZP/ ALD/LKO/ VINDYA/2015-16/ Brain Power ।। Universe/ Anti Universe/ Timezone/ Quardinate/ Tectonics/Geo/ OrganicChem/ AsthDhatu/ Prayag/ Suresh Singh/ GadhMukteshar/Takshshila/ Vrindavan/ Haridwar/ Sindhu/Indus Vally Civilization/ Power of Cosmic Energy/ SpaceMatterTime / GOD/ Siddhi/ Nidhi/ WB/RBI/ Demonitization/AML/ BitCoin Ram Kumar Jaiswal /eWallet/ Amit Jaiswal Merger/ FDI/ ISIS/ GOI/ SC/ RAM/ Ayodhya/ Art 370/CAA to UCC/SBA/ Sandeepansh Law/Pankaj Rai/ HCBA/ GNCTD/ Central/ THC / ITPO/ CP/m LG/ IB/ CBI/ RAW/ RSS/ VHP/ BBC/ WIKI/ ISI/ PFI/ Riots/ GTB/IHBAS/ AMA/WHO/ SARS CoV2/PMO/Lockdown21/HumanLimits


ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ –बृहदारण्यकोपनिषत्, 5/1/1       

******(ईशावास्योपनिषद्)*****

"ॐ पूर्णम् अदः पूर्णम् इदम् पूर्णात् पूर्णम् उदच्यते पूर्णस्य पूर्णम् आदाय पूर्णम् एव अवशिष्यते ।

"पूर्णमदः = पूर्णम् + अदस्पूर्णमिदम् = पूर्णम् + इदम्पूर्णमुदच्यते = पूर्णम् + उदच्यतेपूर्णमादाय = पूर्णम् + आदायपूर्णमेवावशिष्यते = पूर्णम् + एव + अवशिष्यते।पूर्णम् = पॄ-इति धातुः ।तस्य क्त-कृदन्तम्। अत्र नपुंसकलिङ्गि (विशेषणम्)। तस्य प्रथमा विभक्तिः एकवचनं च ।अदः =अदस् इति सर्वनाम । अत्र नपुंसकलिङ्गि । तस्य प्रथमा विभक्तिः एकवचनं च ।इदम् =इदम्-इति सर्वनाम ।अत्र नपुंसकलिङ्गि । तस्य प्रथमा विभक्तिः एकवचनं च ।पूर्णात् = पॄ-इति धातुः। तस्य क्त-कृदन्तम्। अत्र नपुंसकलिङ्गि(विशेषणम्)। तस्य पञ्चमी विभक्तिः एकवचनं च ।उदच्यते = (उत् + अच्) अथवा उत् + अञ्च्) इति धातुः । भ्वा० सेट् उ० । अचुँ॑ अञ्चुँ  वा (गतौ याचने च) इत्येके॑ । तस्य कर्मणिप्रयोगे (क्रियापदम् ) लटि (वर्तमानकाले) प्रथमपुरुषे एकवचनम् ।पूर्णस्य =पॄ-इति धातुः।तस्य क्त-कृदन्तम्। अत्र नपुंसकलिङ्गि (विशेषणम्)। तस्य षष्ठी विभक्तिः एकवचनं च ।पूर्णम् = पॄ-इति धातुः। तस्य क्त-कृदन्तम्। अत्र नपुंसकलिङ्गि ( विशेषणम्)। तस्य द्वितीया विभक्तिः एकवचनं च ।आदाय = आदा इति धातुः । तस्य ल्यबन्तम् ।धातुसाधितं अव्ययम्।एव = अव्ययम्  अवशिष्यते = (अव + शिष्) इति धातुः। तस्य कर्मणिप्रयोगे (क्रियापदम्) लटि (वर्तमानकाले) प्रथमपुरुषे एकवचनम् ।शान्तिः = शान्ति-इति स्त्रीलिङ्गि नाम। तस्य प्रथमा विभक्तिः एकवचनं च ।

अन्वयः---------

अदः पूर्णम् (अस्ति) इदं पूर्णम् (अस्ति)पूर्णात् पूर्णम् उदच्यतेपूर्णस्य पूर्णम् आदायपूर्णम् एव अवशिष्यते।

अदः पूर्णम् इदं पूर्णं पूर्णात् पूर्णम् उदच्यते, पूर्णस्य पूर्णम् आदाय (पश्यतः) पूर्णम् एव अवशिष्यते ।

"वह (परब्रह्म) पूर्ण है और यह (जगत्) भी पूर्ण है; क्योंकि पूर्ण (परब्रह्म) से ही पूर्ण (जगत्) की उत्पत्ति होती है।

तथा पूर्ण (जगत्) का पूर्णत्व लेकर (अपने में समाहित करके) पूर्ण (परब्रह्म) ही शेष रहता है।

हमारे त्रिविध ताप (आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक) की शांति हो।

"अर्थः------अयं हि सुप्रसिद्धो मन्त्रः। अत्र मन्त्रे पूर्णशब्दः सप्तकृत्वः आम्नातः ।

परिपूर्णे परब्रह्मणि भेदा वा अंशा वा तारतम्याणि वा नैव विद्यन्ते इति सुन्दरतया सरलतया च अयं मन्त्रः उद्घोषयति ।

आकाशवत् निरवयवं सर्वव्यापकं च ब्रह्म परिपूर्णमेव खलु ?
  अदः तत्पदलक्ष्यं ब्रह्म, पूर्णम् (न कुतश्चित् व्यावृत्तम्, व्यापि इत्येतत्)।

आकाशवत् व्यापि, अपरिच्छिन्नम् इति यावत्, इदं त्वं पदलक्ष्यं

जीवस्वरूपम् अपि पूर्णं, ननु द्वयोः पूर्णत्वं वस्तुपरिच्छेदात् विरुद्धम् इत्यतः आह-पूर्णात् इत्यादि ।

पूर्णात् ब्रह्मणः पूर्णम् एव जीवस्वरूपम् उदच्यते
उद्रिच्यते उदेति इति यावत्,

पूर्णस्य परिणाम-असंभवेन ततः उत्पद्यमानस्य औपाधिकत्वम्

एव महाकाशाद् उद्गच्छतः घटाद्याकाशस्य तथा दर्शनात् ।

औपाधिकस्य तदेव तथ्यं रूपं यतः सः उदेति इति निदानाभेदात् पूर्णात् उद्रिच्यमानं पूर्णम् एव इति भावः।

ननु जीवस्वरूपस्य पूर्णत्वे कुतः तत् न अनुभूयते ?
तत्र आह-पूर्णस्य इत्यादि ।

पोर्णस्य यत् पूर्णं स्वरूपं तन्मात्रम् आदाय

उपाध्यंशम् अपहाय (पश्यतः) पूर्णम् एव अवशिष्यते पूर्णम् एव स्वरूपम् अवभाति इति ।

घटेन सह अवलोक्यमानस्य नभसः अपूर्णत्वभाने
अपि घटांशं विहाय अवलोकने पूर्णत्वस्य एव अनुभवः यथा इति भावः।

तात्पर्यम्-----------

सोपाधिकतया दृश्यमानमिदं जगत् अपि पूर्णमेव ।
महाकाशः पूर्णः, घटाकाशोऽपि पूर्णः ।
पूर्णे ब्रह्मणि महत् अल्पम् इति भेदो नावकल्पते ।
पूर्णात् ब्रह्मणः आगतं सर्वमपि पूर्णमेव ब्रह्म ।
इदं जगदपि पूर्णमेव । अणुरेणुतृणकाष्ठादि सर्वमपि पूर्णः ब्रह्मैव ।
अविद्याकल्पितेषु उपाधिष्वेव तारतम्यं दृश्यते न तु पूर्णे ब्रह्मणि ।
एवंविद्वानेव ब्रह्मज्ञानी । सोऽपि पूर्णं ब्रह्मैव भवति ।
त्रिः शान्तिः(ॐ शान्तिः! शान्तिः!! शान्तिः!!!)
पठनं तु आध्यात्मिकादित्रिविधोपद्रवशमनाय इति ध्येयम् ।
आदौ प्रणवघोषः च वेदोच्चारणनियतः मङ्गलम् आतनोति इति विज्ञेयम् ।

हिन्दी भाव--------------

                      यह ईशावास्योपनिषद् का मन्त्र है। यह मन्त्र वास्तव में इसी सत्य की ओर इंगित करता है कि प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक जीव स्वयं में पूर्ण होता है ।

'पूर्णमदः पूर्णमिदं' – वह परब्रह्म भी पूर्ण है और यह कार्यब्रह्म भी पूर्ण है । 'पूर्णात् पूर्णमुदच्यते' – क्योंकि यह पूर्ण उस पूर्ण आत्मा से ही उत्पन्न हुआ है ।

समस्त ब्रह्माण्ड अपने आपमें पूर्ण हैं । ब्रह्माण्डों में व्याप्त समस्त वायु, अग्नि, जल आदि तत्व, समस्त रूप-रस-गन्ध आदि अपने आपमें पूर्ण हैं । समस्त काल, समस्त दिशाएँ – कुछ भी अपूर्ण नहीं हैं ।

                   इस प्रकार हम सब उस विराट के सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतर कण होते हुए भी स्वयं में पूर्ण हैं, क्योंकि हम पूर्ण का अंश हैं । पूर्णता का बोध वास्तव में अद्वितीय होता है और उसका कोई विकल्प भी नहीं होता । यदि विकल्प खोज भी लिया जाए तो वह भी निश्चित रूप से पूर्ण ही होगा । हम सभी पूर्ण के भीतर भी हैं और हमारे भीतर ही पूर्ण है ।

क्योंकि हम सभी पूर्ण हैं । हम सभी एक ही पूर्ण का विविध रूपों में विस्तार हैं।


"असतो मा सद्गमय""तमसो मा ज्योतिर्गमय,""मृर्त्यो मा अमृतंर्गमयं ।।"

अगर आप इसे अंत तक पढ़ते हैं, तो मैं चाहता हूँ कि आप मेरे बारे में  "कुछ शब्द" के साथ टिप्पणी (कमेन्ट) करें।

              आइए देखते हैं कि हमारे इस सन्देश को किसने पढ़ने और जवाब देने के लिए समय दिया !!आप में से बहुत से लोग मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं।आप मेरे साथ जुड़े हैं अतः मैं विश्वास कर सकता हूँ कि आप मेरी रचनाओं को पसंद करते हैं।

मुझे अच्छा लगेगा यदि हम कभी भी सिर्फ LIKE और COMMENTS से अधिक संवाद कर सके । 

हम प्रौद्योगिकी में इतने डूब गए हैं कि हमने सबसे महत्वपूर्ण बात भुला दी जो है "अच्छी दोस्ती"। यह एक छोटा सा सामाजिक प्रयोग होगा।

धन्यवाद...
लेखक: श्री शिवा कान्त वत्स
( अधिवक्ता व व्यापार  परामर्शदाता  )

ॐ नमः शिवाय/श्लोक/।।श्री।।/Reloaded Main(C:) Reports;

सुर्य कान्त  वत्स/शिवा कान्त वत्स/Main(C:)/Fb.com/ShivaKant.Vats  🕉️

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